Income Tax Savings: अगर कंपनी का कर्मचारी अपने घर में रहता है या मकान का किराया नहीं देता, तो उसके वेतन में HRA के रूप में मिली रकम टैक्स के दायरे में आएगी है, मतलब टैक्स चुकाना पड़ेगा.

Income Tax Savings के कई तरीके हैं. इन्हीं में से एक हाउस रेंट एलाउंस (House Rent Allowance) है. यह आपकी सैलरी का एक पार्ट होता है. अपनी सैलरी स्लिप को गौर से देखिए, इसमें HRA के मद में कुछ मिलता है. ये आपकी सैलरी का टैक्सेबल पार्ट है. लेकिन, इसके जरिए टैक्स भी बचाया जा सकता है. HRA पर टैक्स छूट का फायदा सिर्फ सैलरीड को मिलती है.
HRA पर इनकम टैक्स छूट
शर्त है वह किसी किराए के घर में रह रहा हो. जिन लोगों का अपना बिजनेस है वह HRA पर टैक्स छूट का फायदा नहीं उठा सकते. आयकर अधिनियम की धारा 10(13A) के तहत HRA पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है. अगर आप टैक्स बचाने की जुगत में लगे हैं तो HRA पर कैसे टैक्स बचाया जाए, इसके बारे में भी जरूर जान लीजिए. कुल टैक्सेबल आमदनी की गणना HRA को कुल आय से घटाकर की जाती है.
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HRA में टैक्स छूट कैसे करें कैलकुलेट?
अब सवाल उठता है कि आप HRA पर कितना टैक्स बचा सकते हैं. इसकी कैलकुलेशन बेहद आसान है. नीचे दी गई तीनों परिस्थितियों में से जो भी रकम सबसे कम आएगी, उस पर HRA की टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है.
1. आपकी सैलरी में कितना हिस्सा HRA का है.
2. मेट्रो शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता में रहते हैं तो बेसिक सैलरी का 50%, नॉन मेट्रो में रहते हैं तो सैलरी का 40% हिस्सा.
3. वास्तव में चुकाए गए मकान के सालाना किराए में से सालना सैलरी का 10% घटाने के बाद बची रकम.
HRA के कैलकुलेशन का ये है तरीका
सबसे पहले यह देखें कि कंपनी की तरफ से आपको एक वित्त वर्ष में कितना HRA मिला है. इस कैलकुलेशन के लिए आपके वेतन में मूल वेतन के साथ-साथ महंगाई भत्ता और अन्य चीजें जुड़ी होनी चाहिए.
HRA छूट का कैलकुलेशन
मान लीजिए कोई व्यक्ति दिल्ली में नौकरी करता है और वह किराए पर रहता है. किराए के तौर पर 15,000 रुपए महीना देता है. उसका मूल वेतन 25,000 रुपए और महंगाई भत्ता (DA) 2,000 रुपए है. उसे 1 लाख रुपए नियोक्ता से HRA के तौर पर मिलते हैं. ऐसे में नौकरीपेशा HRA के तौर पर अधिकतम 1 लाख रुपए की बचत कर सकता है.

HRA का फायदा लेने के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स
HRA का फायदा उठाने के लिए आपके पास एक मान्य रेंट एग्रीमेंट होना चाहिए. रेंट एग्रीमेंट में मंथली किराए, एग्रीमेंट की समय-सीमा और आपके तरफ से खर्चों का जिक्र होना चाहिए. एग्रीमेंट पर आपका और मकान मालिक का साइन हो, भले ही मकान मालिक आपके माता-पिता ही क्यों न हों. यह एग्रीमेंट 100 या 200 रुपए के स्टांप पेपर पर होना चाहिए. अगर सालाना रेंट 1 लाख रुपए से ज्यादा है तो रेंट की रसीद के अलावा मकान मालिक का PAN देना भी अनिवार्य है. आपके पास मकान मालिक से रेंट चुकाने के बाद मिली रसीद भी होनी चाहिए.
Shrikant Malewar, Team MMFs
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Source Credit:- Zee Business